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सरस्वती शिशु मन्दिर सी.बी.एस.ई. विद्यालय इंदौर महानगर के मध्य खातीवाला टैंक क्षेत्र में 2.25 एकड़ के विशाल परिसर में स्थित है | विद्यालय की स्थापना सन 1966 में शिक्षा एवं समाज को समर्पित स्वर्गीय श्रीमती स्नेहलता रानडे "मालुताई" और उनके साथियों ने एक स्वप्न को साकार करने के लिए की | स्वप्न था - नई पीढ़ी को भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण करने वाली व बदलते समय से कदम मिलाती आधुनिक तथा " महंगी" नहीं "अच्छी" शिक्षा प्रदान करना | वर्तमान समय में विद्यालय में कक्षा अंकुर (नर्सरी) से कक्षा द्वादश (12th) तक कक्षाएं संचालित हो रही है | विद्यालय केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ,( CBSE ) नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त है | यहाँ उच्च कक्षाओ में हिंदी एवं अंग्रेजी माध्यम के साथ गणित ,विज्ञान व वाणिज्य संकाय है |

विशेषताएँ :


1.विद्यालय परिसर में दो विशाल भवन है, जिनमें सभी कक्षों में प्राकृतिक रूप से हवा एवं प्रकाश की पर्याप्त उपलब्धता रहती है | साथ ही विशाल खेल मैदान जिसमें फुटबॉल, व्हालीबॉल, खो-खो, कबड्डी एवं एथेलेटिक्स की विधाओं का अभ्यास होता है |


2.भैया-बहिनों के विद्यालय आने-जाने हेतु वाहन सुविधा उपलब्ध |


3.रसायन, भौतिकी, जीव-विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, कंप्यूटर, अटल टिंकरिंग  की अत्याधुनिक प्रयोगशालायें |


4.विविध विषयों की लगभग 7 हजार पुस्तकें, शैक्षणिक विषयों की सन्दर्भ पुस्तकें, मासिक पत्र-पत्रिकायें एवं समाचार-पत्रों से युक्त पुस्तकालय |


5.विद्यालय में दो स्वतंत्र डिजिटल क्लास रूम (स्मार्ट क्लास) है | इस आधुनिक पद्धति से प्रोजेक्टर एवं विशाल स्क्रीन की सहायता से विषय रोचक बनाते है |


6.भारतीय परम्पराओं का पालन, महापुरुषों की जयंतियाँ, पुन्यतिथियाँ आदि मनाई जाती है |


7.प्रति सप्ताह विविध विषयों पर केन्द्रित बालसभा का आयोजन, जिसका संचालन एवं प्रस्तुतिकरण भैया-बहिन करते है | इसी प्रकार बाल न्यायालय, सामाजिक प्रकल्प भ्रमण, बस्ती क्षेत्रों में उत्सव इत्यादि |


8.बालिका शिक्षा के अंतर्गत बहिनों का विशेष साप्ताहिक कालखंड जिसमें बालिकाओं से सम्बंधित विषयों पर प्रबोधन एवं प्रशिक्षण दिया जाता है |


9.अभिभावक संपर्क योजना – विद्यालय के आचार्य/दीदी सत्र में दो बार भैया / बहिन के घर जाकर उनके परिवार से मिलते है |


10.प्रतिवर्ष आयु के अनुसार शैक्षणिक भ्रमण की योजना की जाती है |


11.विद्या भारती की योजना से भैया/बहिनों के लिए विद्यालय से अखिल भारतीय स्तर तक विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन, जैसे – बौद्धिक खेल, समूह चर्चा, तात्कालिक भाषण, निबंध प्रतियोगिता, ललित कला, साहसिक खेल, व्यायाम, योग आदि |


12.उद्यमिता विकास हेतु बागवानी, श्रम साधना, बाल मेला |


13.बालोत्सव : शारीरिक एवं रंगमंचीय कार्यक्रम आयोजित किया जाता है | जिसकी योजना व पूर्व तैयारी से लेकर संपन्न होने तक सभी में समस्त भैया / बहिनों की सहभागिता उन्हें एक अनोखा अनुभव प्रदान करती है, वे मिलकर एक अद्भुत संसार रचते है |

 

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